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तलाशता बस पता उसका नही पता है नाम जिसका। शून्य में

तलाशता बस पता उसका
नही पता है नाम जिसका।
शून्य में खो जाऊंगा तब मैं
जब मिलेगा साथ उसका।

कब होगी पूरी तलाश फेरी
कम हो रही अब सांस मेरी।
बीतेंगी कब ये  रात अंधेरी
बदल रही मुझें दुनिया बैरी।

है मेरी बस  एक  ही इच्छा
दे दो मुझकों बस ये भिक्षा।
सफल करो तुम मेरी दीक्षा
सार्थक हो जाये मेरी शिक्षा।

चमक को तेरी पाना चाहूँ
खुद सूरज बन जाना चाहूँ।
तपने का तू दे दे अवसर
दुनिया को चमकाना चाहूँ।

संघर्ष शस्त्र संधान करूँ मैं
कुछ ऐसा अभियान करूँ मैं।
साधारणता का दान करूँ मैं
विशिष्टता को प्रस्थान करूँ मैं।

©SHASHIKANT
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