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हर रोज छूता हूं हवाओं को पर जमीं से मिलना चाहता हू

हर रोज छूता हूं हवाओं को
पर जमीं से मिलना चाहता हूं

आसमां हूं ये मुमकिन नहीं
इसीलिए बारिश बनना चाहता हूं

©gaTTubaba
  #merasheher 
हर रोज छूता हूं हवाओं को
पर जमीं से मिलना चाहता हूं

आसमां हूं ये मुमकिन नहीं
इसीलिए बारिश बनना चाहता हूं
gattubaba7233

gaTTubaba

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#merasheher हर रोज छूता हूं हवाओं को पर जमीं से मिलना चाहता हूं आसमां हूं ये मुमकिन नहीं इसीलिए बारिश बनना चाहता हूं #शायरी

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