हा वो भी एक लम्हा था जो गुजर गया ज़ब प्रेम के एक तिनके को थामे मैं बहुत देर तक खड़ा रहा औऱ समय बहता रहा मुझे घेरे औऱ घुमाता रहा मुझे सभी दिशाओ मे लेकिन ढूंढ नहीं पाया मैं फिर भी अपनी प्यास का उदगम स्थल प्रेम का उदगम स्थल