मुक्त गगन और खिले सुमन को देख विहंग अपना गीत. गाते है वृक्ष अपनी डालियो को झूला झूलाते है बादल अपने उदर मे पानी भर धरती पर मंडराते है सागर अपनी शांत सतहों पर अशांत लहरे उठाते है प्रकृति सुरम्य घाटियों मे फुदकने लगती है आस्था और विश्वास क़े नवीन. समीकरण नए मूल्यों का सृजन करने लगते है और थमी हुई जिंदगी मे नवजीवन का संचार होता है तब कही जाकर सपनो की क्यारियों े मे प्रेरणा क़े रंगबिरंगे और महकने वाले फूलों का अवतरण होता है #अवतरण...