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(मैने देखा है ) उड़ते पंछियों को चहचहाते हुए और

(मैने देखा है )

उड़ते पंछियों को चहचहाते हुए और 
बहती हुई नदियों का सैलाब देखा है 
कुछ पल की खुशियां तो कहीं 
गमों का जंजाल देखा है 
देखी है कहीं घनघोर बारिश तो कहीं 
सुखा रेगिस्तान देखा है 
पूछा करती हूं दुख दर्द दूसरों के अक्सर 
गर मैने ख़ुद को चुपचाप सा देखा है 
ख़्वाब तो बुनते है सभी 
पर पूरा होते कुछ को ही देखा है
हंसते हुए उन चेहरों को और 
रोशनी बिखेरते जुगनुओं को 
हर और देखा है 
लिखती है कलम से कविता अपनी 
कवयित्री ने हर शब्द और अक्स को 
गौर से जो देखा है|
#स्वाति की कलम से ✍️

©swati soni
  #aaina #स्वातिकीकलमसे✍️  प्रशांत की डायरी Anshu writer Yash Mehta Ayushi Agrawal Rounak kumar  Hem ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री) Ganesha•~•