आगे मंदिर और पीछे कारोबार चलता है ऐसे ही सियासत का दारोमदार चलता है वो बिके न तो और क्या करें साहिब पांच रुपए में कहां अख़बार चलता है उसकी हर चीज़ है एकदम ही झांटू मगर बिकती है क्योंकि इश्तहार चलता है ©आदिल सरफ़रोश #दिल #दिल