क्या एक स्त्री का स्त्रीत्व एक गुल्ल्क है जिसमे पत्थर भरे हुए हो और उसक़े भाग्य को. कोई पुरुष आ क़र लिखता होजबकि सारी दुनिया टिकी है स्त्री के वजूद पर और वो चाहे तो धरती क़े भीतर सोये पथरों को भी जगाने की हैसियत और बुलंदी भी दिखा सकती है लेकिन उसे समाज मे एक खेती वाली ज़मीर्न से ज्यादा कहाँ कुछ अधिक समझा गया है ©Parasram Arora # स्त्री और स्त्रीत्व.......