हिचकिचाहट थी बातो की बातो की कुछ जज्बातो की कुछ कह गए अपनो से कुछ बह गए बह गए कुछ आंखो से कुछ घुल गए बेबसी के एहसासों में हिचकिचाहट थी क्यों लेकिन थी कुछ यूं जाकर पास इतने फिर भी चुप रह गए घबराहट की झंझनहाहट मन के किसी कोने में रहती थी उसकी घंटो तक आहट बोल न सके जो अपने ही अपनो से अपने ही हक की क्यों मन में ही दब गई ये कैसी हिचकिचाहट हिचकिचाहट थी बातो की बातो की कुछ जज्बातो की कुछ कह गए अपनो से कुछ बह गए बह गए कुछ आंखो से कुछ घुल गए बेबसी के एहसासों में हिचकिचाहट थी क्यों लेकिन थी कुछ यूं