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रूह बन कर आकाश से उत्तरी थी वो पवित्र क़ुरान धरती

रूह  बन कर आकाश से उत्तरी थी  वो पवित्र क़ुरान
धरती पर  
सभी ने उसे   चूमा   आँखों पर रखा
पर उसे पढ़ने की जहमत  किसी ने उठाई नही
अगर खोलकर उसे पढ़ा होता  और उसकी आयतो पर अमल किया होता तों
आज  नफरत और हिंसा की जगह 
 दुनिया का हर  इंसान  प्रेम  और करुंणा. के  साथ
शांति और  अमन का  सुख भोग रहा होता

©Parasram Arora अमन और शांति
रूह  बन कर आकाश से उत्तरी थी  वो पवित्र क़ुरान
धरती पर  
सभी ने उसे   चूमा   आँखों पर रखा
पर उसे पढ़ने की जहमत  किसी ने उठाई नही
अगर खोलकर उसे पढ़ा होता  और उसकी आयतो पर अमल किया होता तों
आज  नफरत और हिंसा की जगह 
 दुनिया का हर  इंसान  प्रेम  और करुंणा. के  साथ
शांति और  अमन का  सुख भोग रहा होता

©Parasram Arora अमन और शांति