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गुजरे लम्हें को मुठ्ठी में करलु बंध.... इश्क़ की द

गुजरे लम्हें को मुठ्ठी में करलु बंध....
इश्क़ की दास्ता को याद बनालू....
फितरत - ए- वक्त है रुकता नहीं....
तुम्हारे जज़्बात को दिल से लगालू...  तुम्हारे जज़्बात ही,जब सरेराह मिटा गये,
महक-ए-ज़ाफ़रान से, मुझे हासिल क्या।
ये शिकायत नहीं,इक मशवरा है ऐ पंखी!,
मेरे अश्क़ से,अब तेरी तिश्नगी बुझेगी ना।
इरादतन बदल लिया जो रास्ता मैंने कभी,
किसी जन्म ख़ुद को माफ़ी दे पाओगे क्या।

#अशोक_अरुज   #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
गुजरे लम्हें को मुठ्ठी में करलु बंध....
इश्क़ की दास्ता को याद बनालू....
फितरत - ए- वक्त है रुकता नहीं....
तुम्हारे जज़्बात को दिल से लगालू...  तुम्हारे जज़्बात ही,जब सरेराह मिटा गये,
महक-ए-ज़ाफ़रान से, मुझे हासिल क्या।
ये शिकायत नहीं,इक मशवरा है ऐ पंखी!,
मेरे अश्क़ से,अब तेरी तिश्नगी बुझेगी ना।
इरादतन बदल लिया जो रास्ता मैंने कभी,
किसी जन्म ख़ुद को माफ़ी दे पाओगे क्या।

#अशोक_अरुज   #अल्फ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में
purvishah8999

purvi Shah

New Creator