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दिन में कहाँ ढूंढते हो गरीबों को,ठाकुर, मैं तो अक

दिन में 
कहाँ ढूंढते हो गरीबों को,ठाकुर,
मैं तो अक्सर रात में मिलता हूँ।
धूप में क़िले फ़तेह तुमने किये होंगे,
मजबूर हूँ,नंगे पांव रात में चलता हूँ।
खुशनसीब हो सुबह घर की चाय पीते हो,
मैं तो हर रोज सुबह अख़बार में छपता हूँ। #migrantworkers #stories #time #chetanyajagarwad #yqtales
दिन में 
कहाँ ढूंढते हो गरीबों को,ठाकुर,
मैं तो अक्सर रात में मिलता हूँ।
धूप में क़िले फ़तेह तुमने किये होंगे,
मजबूर हूँ,नंगे पांव रात में चलता हूँ।
खुशनसीब हो सुबह घर की चाय पीते हो,
मैं तो हर रोज सुबह अख़बार में छपता हूँ। #migrantworkers #stories #time #chetanyajagarwad #yqtales