अपनी धुरी पर घूमता हुआ. सूरज क़ो पृथ्वी का फेरा दिहाड़ी पर सोपता हुआ हर अँधेरे के बाद उजालो क़ो सरकाता हुआ पतझड़ के बाद बसंत क़ो लाता हुआ. ग्रीष्म के अत्याचारों से जगत क़ो बचाने के लिये शिशिर की शीतलता सौंपता हुआ और कुदरत के यम नियम जगत क़ो समझाता हुआ ये काल चक्र अपने चक्र क़ो शाश्वत निरंतरता. देने में सक्षम है ©Parasram Arora काल चक्र