Unsplash हर दिल में बसा एक राज, अनजाना रहता है, खुद से भी छुपा सच, क्यों बेगाना रहता है। जख़्मों से हरा, पर उफ़ तलक नहीं ज़बान पर भीतर जलता है कुछ और,बाहर धुएं को छुपाना रहता है। शोर में खोकर भी, खामोशी से गुफ्तगू, मन का आइना अक्सर, वीराना रहता है। ख्वाहिशों का दामन, कभी भरता नहीं एत्माद से खुदा से हीं गिला,और दिल उसी का दीवाना रहता है। फूल से नाज़ुक, और पत्थर से कठोर भी, कुछ फितरत का खेल भी दोहराना रहता है। कभी खुद से दूर, कभी खुद में गुमशुदा, सच कहूँ, ये मन तुझको बहलाना रहता है। कभी सफ़िने से बगावत,कभी साहिल पे ऐतवार हर वफ़ा पे समंदर को लुटाना रहता है Rajeev @Samandar speaks ©samandar Speaks #library मनीष शर्मा