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मैं छोड़कर चला आया हूं शहर उसका, मगर यादें उसकी

मैं छोड़कर चला आया हूं शहर उसका,  
मगर यादें उसकी मेरे ज़हन से नहीं जाती हैं । 

ये इश्क-ए-बीमारी, "शमी" , मुझे खानदानी सी लगती है, 
इलाज़ करा भी लूं मगर जड़ से खत्म नही हो पाती है।

©" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
  #city_life