पेट आजीवन दौड़ाता है करवाता आखेट बार बार खाली होता जब भी भरते पेट कोई कहे पापी इसको कोई पुण्य की गगरी क्षुधा शांत करने खातिर लिए घूमते गठरी यही कराता दोस्ती यही कराता जंग यह भरता है जीवन में तरह तरह के रंग इसे भूख जब लग जाती कर दिया बेचैन अथक परिश्रम करवाता बेखुद रोते नैन ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पेट