गर करना है दीदार,ये,चांद तो सोना पड़ेगा खुले आसमान के नीचे,, महलों के बंद कमरों में तो शोले दहकते हैं,, निहार कर देखो, तारों की महफ़िल में चांद के जलवे, बंद कमरों में जो रहता है,बो चांद नहीं उसे हवस का सामान कहते हैं, बंद कमरों में कुचले जाएं जिस चांद के अरमान, अरमां कुचलने बालों को ,, हवसी,,इंसान कहते हैं। दीदार_ये_चांद।