माना कि ; चाँद सा नूर है तूम मे , सूरज सी गरमाट भी कामदेव सा शरिर हो तूम्हारा शख्सियत भी बड़ी उच्ची हो शायद इसलिय स्र्ख़ से भड़े हो तूम पर प्यारें भले ही चाँद सा नूर ना हो हम मे पर अमावस्या सी रात हम भी नही भले ही सूरज सी गरमाहट ना हो हम मे पर कमजोर लौह बाली दिया हम भी नही माना कि रती जैसी सौंदर्य नही है हम में पर कूरूप-अपंग हम भी नही यें भी माना कि तूम सा शख्सियत नही है हमारी पर सड़क की धूल हम भी नही माना कि स्र्ख़ से लैश हम नही ''पर बे-गैरत हम भी नही ।। — % & #mood_is_bakbash #dil_dard_me_hai # lo bhai likh diya Pasta Akhiri☺ .. 😇😇😇😇😇