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Kavita

no bio. 😉

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Kavita

हुआ आधूनिक समाज 
बढ़ी आधूनिक माँग प्रिये
दो वक्त कि रोटी 
दो जोरें कपड़े 
सर पर सिलन बाली छत 
अब नही रही ये पर्याप्त प्रिये 

शरिर हुआ नाजूक 
वो बाहर कि
धूल-मिट्टी 
सूरज कि गर्मी से 
काया जलती है 
AC , cooler , fridge 
कि जरूरत पड़ती है 

सड़क पे पड़े कंकड़ 
पाउँ मे बरे चूभते है 
अब दस कदम चलने से ही 
सासें आंह-भर घूटते है 
तब एक कार की जरुरत लगती है 

इस आधिनिक यूग ने 
रहन-सहन ,खान-पान ,बोल-चाल 
पैहनावे तक का रंग ढंग है बदला 
जो English मे गिटर-पिटर बोल ना पाये 
उसे दूनिया घृनित रुप से आलोचित करती है 

अब तूम ही बताओं 
कैसे करू तूम्हारा प्रेम स्वीकार? प्रिये थरथराते हाथों
से तुम्हें
दे तो दिया
ताज़ा गुलाब
कहकर 
iloveu
पर कैसे मिले उसे जवाब

थरथराते हाथों से तुम्हें दे तो दिया ताज़ा गुलाब कहकर iloveu पर कैसे मिले उसे जवाब #प्रेम #YourQuoteAndMine #आधुनिकता

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Kavita

लड़कियों को इंसाफ मिलना 
अासां नही 
इंसाफ के बदलें बहूत कुछ चुकाना पड़ता हैं 
अपने परायें बन अपराधि होने का एहसास कराते हैं
किसमत का खेल बता कर 
हर जुर्म-अत्याचार को सर झुका के सेहने की तालिम देते हैं
मायके से डोली उठी 
ससूराल से ही अर्थी उठें 
बरी आसानी सिख ये देते हैं 
अब तुम परायी हो 
यें कह के सिने पर खंझर से बार करते हैं 

वो कहते हैं 
आत्मसम्मान की बात ना करना 
हर गाली-तंज और उठते हुयें हाथों को 
उफ किये बिना ही सहना  
बड़े प्यार से कह देतें है बेटा
ये विधी का विधान है 
ये तेरा भाग्य है 

जलना-कटना ,खून के आसूँ पीना
पर माँ-बाप के सिर को ऊँच्चा रखन
बेटा कोट-कहचरी मे
बात ना जाने देना 
पुरखों की इज्जत को बनायें रखना 

खूद के सम्मान-आत्मरक्षा करने से 
खूद पर हो रहे अत्याचारों को बहिसकृत करने से 
क्यूँ ? पिता कि पगड़ी गिर जाती है — % & #dard_ek_kahani
#insaaf_ek_jaisa_nhi
#_kyu_
#kavita_ki_pahal
#kavita_ki_quote
#pic_resource_google
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Kavita

 माना कि ;
         चाँद सा नूर है तूम मे , 
          सूरज सी गरमाट भी 
          कामदेव सा शरिर हो तूम्हारा 
          शख्सियत भी बड़ी उच्ची हो 
       शायद इसलिय स्र्ख़ से भड़े हो तूम 
पर प्यारें 
भले ही चाँद सा नूर ना हो हम मे 
पर अमावस्या सी रात हम भी नही 
भले ही सूरज सी गरमाहट ना हो हम मे 
पर कमजोर लौह बाली दिया हम भी नही 
माना कि रती जैसी सौंदर्य नही है हम में 
पर कूरूप-अपंग हम भी नही 
यें भी माना कि तूम सा शख्सियत नही है हमारी पर 
सड़क की धूल हम भी नही 
माना कि स्र्ख़ से लैश हम नही ''पर
            बे-गैरत हम भी नही ।। 
          — % & #mood_is_bakbash
#dil_dard_me_hai
 # lo bhai likh diya
Pasta Akhiri☺ ..

😇😇😇😇😇

#mood_is_bakbash #dil_dard_me_hai # lo bhai likh diya Pasta Akhiri☺ .. 😇😇😇😇😇

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Kavita

सनम तेरी बेरूखी 
मुझे अंदर से तोड़ रही है 

— % & no#tag
dil_pareshan_hai

notag dil_pareshan_hai

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Kavita

ki aarj kiya hai -ki

tum hmare jajbaton ke sath khelte rahe 
aur hum ludo ke gottiyon ki tarh 
tumhare ishare par nachte rahe


— % & #no#tag
#lab_khamosh_hai
#
60eefcae005b6de5c81f5749c38643f9

Kavita

ना कोई धर्म छोटा
 ना कोई महजब घृणा ना के पात्र है 

धर्म है अनेक पर
 सब धर्मो का सार समान है

आज हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईशाई -
कई धर्मो में बाटा है इंशान

परमात्मा ने बनायी 
 एक धर्म ''इंसानियत''
आज उसे भुला बैठा है इंशान 

हिंदू करे हिंदुत्व की रखबली
मुस्लिम करे मोहम्मद की हीफाजात
शिख करे गुरुगोविंद की निगरानी
ईशाई भी करे ईसा-मसीह की रखवाली

पर क्यू? 
डरा सहमा ठूठरता
अपने अस्तित्व को बचाता
विलाप करता मारा-मारा फिर रहा है इंसानियत— % & #inshaniyat
#kavita_quotes
#dil_ki_baate
#sawal_ek_jindgi
#sawal_ek_soch_ki
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Kavita

अपनों की कमी हर किसी को झलता है 
कोई लाख फोलादी क्यों ना हो उसे भी अकेलापन खलता है 

जिसे साथ पाती थी हमेशा 
वो आज गुमनाम शहर मे क्यूँ छोड़ी है 

जो होती थी मेरी ताकद , प्रेरणा 
वो आज  मेरी कमजोरी बन के क्यू ऊभरी है 

क्यूँ हर किसी को विछरना परता है ? 
क्यूँ कोई हमेशा साथ नही रह सकता है ? 
क्यूँ ? आखिर क्यूँ




 #no#tag
#moodoff
😑😑😑😑😑😑😑😑😑

#no#tag #moodoff 😑😑😑😑😑😑😑😑😑

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Kavita

लड़कि है तू मोम की गुड़िया नही 
हा माना कि;
जरा सी चोट पर तेरी आह निकल जाती है 
रो रो कर अपने आखें सूजाती है 
खूब नखरे भी दिखाती है 

हा माना कि; 
तेरा शरिर थोड़ा सा कमजोर है 
पर तू मानसिकता से कमजोर नही 

हाँ चल उठ अब इतिहास बदल 
अपने जिम्मेदारीयों को उठा 
उसे यूँ ना कृत्रिम बेवसियों मे छिपा 
चाहे जिम्मेदारी माँ-बाप की हो 
या स्वरचनात्मक भविष्य की जिम्मेदारी हो
उसमे भी तू अपना जोर लगा 
समाज के कटरपंथी धारनाओं पर 
अपने सफलता और उज्वलकर्मों से रोक लगा 

हाँ तू लड़की है पर मोम की गूड़िया नही 
घूंघट की चादर से जिम्मेदारीयों की लौह से 
खूद को अब और ना छिपा 
अपने अस्तित्व को मजबूत बना 
अपने कर्मों को बखूवी निभा 
लोक-कथाओं को अब तू मिथ्या बना 
हाँ खूद को मजबूत बना, 
हाँ अब खूद को यूँ ना मोम बना
kavita #ladki_mom_nahi
#कृत्रिम=बनाबटी
#बेवसियों= ससूराल की समस्याऐं , बंधन ये वों 
समाज के ताने ये वो वला वला #
#kavita_quote
#dil_ki_baate

#ladki_mom_nahi कृत्रिम=बनाबटी बेवसियों= ससूराल की समस्याऐं , बंधन ये वों समाज के ताने ये वो वला वला # #kavita_quote #dil_ki_baate

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Kavita

लड़कि है तू मोम की गुड़िया नही 
हा माना कि;
जरा सी चोट पर तेरी आह निकल जाती है 
रो रो कर अपने आखें सूजाती है 
खूब नखरे भी दिखाती है 

हा माना कि; 
तेरा शरिर थोड़ा सा कमजोर है 
पर तू मानसिकता से कमजोर नही 

हाँ चल उठ अब इतिहास बदल 
अपने जिम्मेदारीयों को उठा 
उसे यूँ ना कृत्रिम बेवसियों मे छिपा 
चाहे जिम्मेदारी माँ-बाप की हो 
या स्वरचनात्मक भविष्य की जिम्मेदारी हो
उसमे भी तू अपना जोर लगा 
समाज के कटरपंथी धारनाओं पर 
अपने सफलता और उज्वलकर्मों से रोक लगा 

हाँ तू लड़की है पर मोम की गूड़िया नही 
घूंघट की चादर से जिम्मेदारीयों की लौह से 
खूद को अब और ना छिपा 
अपने अस्तित्व को मजबूत बना 
अपने कर्मों को बखूवी निभा 
लोक-कथाओं को अब तू मिथ्या बना 
हाँ खूद को मजबूत बना, 
हाँ अब खूद को यूँ ना मोम बना
kavita #ladki_mom_nahi
#कृत्रिम=बनाबटी
#बेवसियों= ससूराल की समस्याऐं , बंधन ये वों 
समाज के ताने ये वो वला वला #
#kavita_quote
#dil_ki_baate

#ladki_mom_nahi कृत्रिम=बनाबटी बेवसियों= ससूराल की समस्याऐं , बंधन ये वों समाज के ताने ये वो वला वला # #kavita_quote #dil_ki_baate

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Kavita

अकसर मेरी तन्हाई मुझसे बातें करती है 
कभी मेरी सुनती है कभी अपनी सुनाती है 
कभी मुझ मे खोती है कभी मुझे अपने आगोश मे लेती है !
अकसर मेरी तन्हाई मुझसे बातें करती है 
कभी मेरी असकों मे भगती है तो कभी खूद मे मुझे भिगोती है 
कभी अकेली करती है तो कभी अकेली होने से बचाती है !
अकसर मेरी तन्हाई मुझसे बातें करती है 
कभी बेरूखी दिखाती है पर दूनिया की बेरुखीयों से मुझे बचाती है !
''हाँ''
मेरी तन्हाई मुझसे बातें करती है। 
''हाँ''अकसर मेरी तन्हाई मुझसे बातें करती है !!

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