ये भूमि मेरी,है मातृभूमि मेरी,, कदमों में झुकी इसके है पृष्ठिभूमि मेरी। हिफाजते तेरी कुरबां हर सांस मेरी, ख्वाहिशें बस तिरंगे में लिपटे लाश मेरी।। कतरा हर लहू का चीखता .. सारे जहां से अच्छा हिन्दूस्तां हमारा हम रहें या ना रहें,, सूर्य सा चमकता रहे बस ये गुलिस्तां हमारा।। उड़ेल दो चाहे जितनी भी नफरतों का जहर, नापाक बना दो अपनी हरकतों से ये शहर,, ना कभी झुका है_ना कभी झुकेगा ये सर,, ढा दो चाहे जितना भी जुल्मों का कहर।। गुरूर है हमें अपने फौलादी जवानों पर, जो खेलते हैं बाजी रख हथेली जानों पर।। कदम ना कभी हटेंगे,ना ही हमने हटना सीखा है,, झोंक दे चाहे कोई कितनी भी ताकत,, रक्षा _ए देश पर हमने मर मिटना बस सीखा है।। जंग हो चाहे कोई महामारी का तांडव, साथ लड़े हैं साथ ही लड़ेंगे। जज्बा ना टूटे हैं ना टूटने देंगे, त्राहिमाम चिल्ला भाग खड़े होंगे सब,, जब मिल खड़े होंगे देश के सूरमा पांडव।। हर जुबां पे हे मां भारती बस तेरा ही नाम रहेगा, बहने ना देंगे तेरे आंखों से आंसू,, उखाड़ फेंकेंगे हर जुर्म तेरे सर से मां,, दुनियां में बस भारत का अभिमान रहेगा।।। WRITTEN BY(संतोष वर्मा) आजमगढ़ वाले..खुद की जुबानी... मां भारती....