मैं रमणी महाकाली की किस भाव मैं तेरी राधा बनूँ मैं जोगिनी जटाधारी की किस भाव मैं तेरी मीरा बनूँ हर भाव तो हृदय का जला दिया तुमने किस भाव मैं तेरे भाव धरूँ मेरी अनाड़ी बुद्धि से जितना समझी तुम्हें प्रयास किया हर प्रयास में तुमने कभी गलत कभी अपराधी बना दिया क्षण - दिवस - मास - वर्ष बीता प्रतिक्षण तुमने मेरा एक - एक भाव रीता जब अस्तित्व ही नहीं मेरा तुम्हारी दृष्टि में कुछ भी अब भावना का क्या भाव सखे !