सौ साल पहले जो मेरा दोस्त मेरे पड़ोस मे रहता था उसने नुझे बताया था क़ि उसे जिंदगी से नफ़रत है क्योंकि पीड़ा क़े अलावा जिंदगी ने कभी उसे कुछ दिया ही नहीं और आज एक लम्बे अंतराल क़े बाद ज़ब मै कब्रिस्तान की ओर से गुजर रहा था मैंने देखा उस दोस्त की कब्र पर बालिश्त भर लम्बी घास जिंदगी बन कर लहलहा रही थी ©Parasram Arora # लहलहाती हुई घास...