लब्ज हैं बेजुबां सांस हैं कुछ खफा नब्ज है जमरहीअलविदाअलविदा रात के आब मे जज़्ब सारा जहाँ अब्द है दिल तेरा ऐ जमीं जाने जां आजमाईश हुई बर्फ पे जख्म की इश्तियाक-ए-वफा नाखुदा नाखुदा कल फिर आ गया चाँद अरमान पर आईना आईना काफिया बन गया रात के जुल्फ मे कोई ढुंढे जहाँ कोई चुमे वतन की जमीं आसमां तर्स है हर तरफ आग की राख की घुल गया है वतन मे जहर का धुआं राजीव ... खुशवंत Disha Patel Neha Kar Radhey Ray mishrariya1104