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देखा तो कोई नहीं था।..मुझे लगा मेरा फर्म था..! फिर

देखा तो कोई नहीं था।..मुझे लगा मेरा फर्म था..! फिर मैं चलने लगा अचानक मुझे किसी ने पीछे से आकर पकड़ लिया। मैं घबरा गया। कड़ाके की ठंडी में मेरे माथे से पसीना निकलने लगा। मैं डरते डरते पीछे मुरा तो वहाँ कोई नहीं था। मेरे डर की तो कोई सीमा नहीं रही। फिर भी हिम्मत करके मैं चलने लगा क्योंकि मुझे घर जल्दी पहुँचना था मेरी वाइफ को लेबर पेन स्टार्ट हो गया था और घर से मुझे cll आ रहा था। बार बार मुझे एक ही बात याद आ रही थी कि मासिनराम में भेड़ियों का फिर से आतंक भर गया है।भेड़िए आदमी का रूप लेकर लोगों को फसा कर अपना शिकार बना रहे है।यहीं सोचते सोचते मैं नीचे मुह करके आगे बढ़ रहा था तभी अचानक मेरे सामने एक लड़की आकर खड़ी हो गई। मैं बहुत डर गया। फिर भगवान का नाम लेकर मैं धीरे धीरे अपना चेहरा ऊपर करने लगा मैं उसके चेहरे को देख ही पता कि माँ ने मुझे ज़ोर से हिलाते हुए उठाया उठेगा नही सुबह के 8 बज रहे है आफिस नहीं जाना।मैं हरबराकर उठा और फिर आँख मलते हुए सोचने लगा कि ये सपना था। पर मुझे मलाल इस बात का था कि मैं उस लड़की का चेहरा देख नहीं पाया।

©Rishika Srivastava "Rishnit"
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