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Meri Mati Mera Desh कैसे मैं किसी का दुर्भाग्य बनू

Meri Mati Mera Desh कैसे मैं किसी का दुर्भाग्य बनूँ, 
चित्त में बसा बस मुरलीधर, 
कैसे कालिया नाग बनूँ। ।
नाचती जिसकी धुन पर दुनिया सारी, 
कैसे न  मैं उसका गुणगान करूँ, 
है श्वेतांबर बड़ा कृपालु, 
कैसे न नित उसका ध्यान करूँ। ।
कण _कण में रचित उसकी माया, 
कैसे न  उसे मैं भगवान कहूँ, 
हिलता नहीं इक भी पत्ता बगैर इजाजत उसके, 
चरणों में उसके कैसे न  प्रणाम कहूँ। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #murlidhari