करता हूं नमन उन वीरों को बलिदान हुए रनवीरों को जिसने न्योछावर कर डाला कंधे में पड़ी वो वरमाला तरुणायी यौवन के मोह बिना जीवन जंजाल में जी डाला जहां आज मटकते मुंडो में हर गली भटकते गुंडों में साहस है नही की डट जाए बस गलत राह से हट जाए हट गया वो अपने ही घर से हट गया निजी सब अवसर से बलिदान दिया सम्मेलन का सब खुशियों और खास आंदोलन का और अंत समय वह लड़ बैठा की देश में देशी रहे बैठा बिन सोर बिना जयकारों के बिन निज दल के उन नारो के पर काट रहा हत्यारों के जब तक सांस रहे तन पर दम मार मरा हत्यारों को करता हूं नमन उन वीरों को करता हूं नमन उन वीरों को ©दीपेश #warmemorial