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एक बार तो पूछो खामोशी को उसके कुछ मन की बातें जा

एक बार तो पूछो 
खामोशी को उसके 
कुछ मन की बातें जान लो 

छोड़ दो हर वक्त कोशना
दर्द होता है उसको भी 
कभी तो बिन कहे जान लो 

छोड़ दो ताने ,अक्शर उम्र के देने 
कभी तो बेबशी को मान लो 

क्या खुद से है कभी कोई चाहता 
कदम कदम पर ठोकरें खाना
कभी तो छोड़ दो, जलील करना
साथ बैठ कर, कभी तो प्यार दो

जो दफ्तर पर नहीं जाता 
क्या वो इंसान नहीं है
इस उम्र में नहीं कमाता 
फिर क्या वो संतान नहीं है
कभी तो छोड़ दो भेदभाव करना
थाम कर हाथ उसका 
कभी तो साथ चलना

क्या वो नहीं  चाहता 
माँ को नयी साड़ियाँ देना
भाई बहन को खिलौने 
पत्नी को चूड़ियाँ देना 
मर रहा है हर दिन हर पल
वो छुपा रहा है मुस्कुराकर 

उसके हौसले को बढ़ा दो
कभी तो गले से लगाकर 
उसका बचपन जिन्दा कर दो 
आज थोड़ा प्यार देदो,
बात इतनी मान लो 
कुछ मन की बातें जान लो

©Shrishti Pandey
  #youth