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पल्लव की डायरी रोशन खूब है जहांन, चमक ओहदों की बची

पल्लव की डायरी
रोशन खूब है जहांन, चमक ओहदों की बची है
हम तो आम है,खास लोगो मे तरक्की बसी है
ओझल है जमाने से हम,गमो में पले है
दो जून की रोटी के लिये, संघर्ष बड़े है
आसान नही है अब,साँसो का यहाँ धड़कना
रोज हमारे जज्बात मारे जाते है
चूल्हों की आग में महँगाई का तड़का लगाते है
जाने किसकी भरपाई के लिये
हमारे पेट काटे जाते है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #walkingalone
ओझल है जमाने से हम,गमो के साये में पले है
#walkingalone
पल्लव की डायरी
रोशन खूब है जहांन, चमक ओहदों की बची है
हम तो आम है,खास लोगो मे तरक्की बसी है
ओझल है जमाने से हम,गमो में पले है
दो जून की रोटी के लिये, संघर्ष बड़े है
आसान नही है अब,साँसो का यहाँ धड़कना
रोज हमारे जज्बात मारे जाते है
चूल्हों की आग में महँगाई का तड़का लगाते है
जाने किसकी भरपाई के लिये
हमारे पेट काटे जाते है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #walkingalone
ओझल है जमाने से हम,गमो के साये में पले है
#walkingalone