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एक रोज जो बरसात आई थी ना क्या तुम्हे याद है वो रात

एक रोज जो बरसात आई थी ना क्या तुम्हे याद है वो रात
मैंने अपनी चौखट से तुम्हे ज़ी भर कर भीगते देखा था उस रात,

तुम्हे बेखौफ बेझिझक बस यूं ही झूमते देख तुम दिल में उतर आई थी उस रात 
यूं ही नही तुम्हारे लिए घर का मैने दरवाजा खोला था उस रात

©Prabhakar Chaudhary
  Darwaza...
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