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बिन परिणाम सोचे हम बस अपनी इच्छा बताते, जबतक सब प

बिन परिणाम सोचे हम 
बस अपनी इच्छा बताते,
जबतक सब पूरी न हो,
हर दिन उसको ही दुहराते,
नयी इच्छाओं की धुन में,
पुरानी अभिलाषा भूलते जाते,
चाहतों की भूलभुलैया से,
चाह के भी निकल नहीं पाते,
अपनी ही इच्छाओं के भार से
नितदिन हम दबते जाते हैं,
पूरी होने पर भी पछताते हैं,
अपनी उपल्ब्धि के ऐब गिनाते हैं। बिन परिणाम सोचे हम 
बस अपनी इच्छा बताते,
जबतक सब पूरी न हो,
हर दिन उसको ही दुहराते,
नयी इच्छाओं की धुन में,
पुरानी अभिलाषा भूलते जाते,
चाहतों की भूलभुलैया से,
चाह के भी निकल नहीं पाते,
बिन परिणाम सोचे हम 
बस अपनी इच्छा बताते,
जबतक सब पूरी न हो,
हर दिन उसको ही दुहराते,
नयी इच्छाओं की धुन में,
पुरानी अभिलाषा भूलते जाते,
चाहतों की भूलभुलैया से,
चाह के भी निकल नहीं पाते,
अपनी ही इच्छाओं के भार से
नितदिन हम दबते जाते हैं,
पूरी होने पर भी पछताते हैं,
अपनी उपल्ब्धि के ऐब गिनाते हैं। बिन परिणाम सोचे हम 
बस अपनी इच्छा बताते,
जबतक सब पूरी न हो,
हर दिन उसको ही दुहराते,
नयी इच्छाओं की धुन में,
पुरानी अभिलाषा भूलते जाते,
चाहतों की भूलभुलैया से,
चाह के भी निकल नहीं पाते,