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चाहत नहीं मुझे अब , कि किसी की बराबरी करुं । बस चा

चाहत नहीं मुझे अब ,
कि किसी की बराबरी करुं ।
बस चाहत इतनी सी है ,
कलम के साथ एक लम्बी उम्र गुजारुं..
                                                                ---"मधु"

©Madhusudan Singh
  #कलम