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Surkh ( سرخ )
बाग के फूल सूखे हुए थे, अपने ही अब हमसे रूठे हुए थे। हम क्या ही रोते उनके कंधों पर ए सुर्ख, क्योंकि हौसलों से भरे हुए कंधे अब खुद झुके हुए थे। ©Surkh ( سرخ ) #newone #newonnojoto #अपने #रूठे #शायरी #कलम #WrittenByMe #shayari_dil_se #Shayari #Nojoto sad shayari shayari in hindi Extraterrestrial life hindi shayari zindagi sad shayari
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read moreअज्ञात
छुप छुप के वो मेरे हालात देखता है कभी कभी नहीं दिन रात देखता है डरता बहुत है मिरे बिखरने से भी और मिरे बिखरे बिखरे जज्बात देखता है क्या क्या दलीलें पेश होंगी मनाने में रूठकर मुझसे मिरे ख़यालात देखता है किसके हाथ है मिलना बिछड़ना ये सब मुकद्दर पे मोहब्बत की विसात देखता है ये कलम तो उसकी दिवानी है और वो कलम की कशिश के करामात देखता है ©अज्ञात #कलम
Ghumnam Gautam
White कलम प्यारी है मुझको, आपको शमशीर प्यारी है कि जिसकी जैसी है उसको वही जागीर प्यारी है मिली 'ऊले' पे इतनी वाह, मैं "सानी" न कह पाया वो ऊला था फ़कत इतना कि ये तस्वीर प्यारी है ©Ghumnam Gautam #good_night #कलम #शमशीर #ghumnamgautam
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read moretripti agnihotri
White शब्द सीढ़ी-घर /गरीबी/अमीरी/संसार/ईश्वर #तृप्ति की #कलम से ******************************************** चलो साथी ख्वाब में एक #घर बनाएं प्यार की ईंटे लगाएं झूमते-गाते हुए हम करके मेहनत इस #गरीबी को मिटाएं प्यार के रंगों से हम अपनी #अमीरी को बढ़ाएं ख्वाब के #संसार में बस तुम रहो और मैं रहूं #ईश्वर करे ये ख्वाब मेरा सत्य में बदले कभी "तृप्ति" पुलकित हो छटा ये प्रेम की बरसे कभी।। ******************************************** स्वरचित तृप्ति अग्निहोत्री लखीमपुर खीरी उत्तरप्रदेश ©tripti agnihotri #love_shayari
Vic@tory
White कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ, गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ, रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आँसू, मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ। ©Vic@tory #कलम चलती है तो......
#कलम चलती है तो......
read moreDr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
White गुजारा होगा, सबका हो रहा है, हमारा भी होगा, जिंदगी कब तक, तड़पायेगी मुझे, नजारा खुशी का, हमारा भी होगा। #कलमसत्यकी ©Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी #Sad_shayri गुजारा होगा, सबका हो रहा है, हमारा भी होगा, जिंदगी कब तक, तड़पायेगी मुझे, नजारा खुशी का, हमारा भी होगा। #कलमसत्यकी #कलम #Life #Life_experience
#Sad_shayri गुजारा होगा, सबका हो रहा है, हमारा भी होगा, जिंदगी कब तक, तड़पायेगी मुझे, नजारा खुशी का, हमारा भी होगा। #कलमसत्यकी #कलम Life #Life_experience
read moreBindu Sharma
कलम जब बोलती है अच्छों अच्छों के राज़ खोलती है ©Bindu Sharma #Likho #Shayari #कलम #Nojoto #nojohindi
#Likho #Shayari #कलम #nojohindi
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
कलम कला है,कलई भी खुल जाती है। सर कलम मौत हो, हो जीवन पेड़ कलम कटा, मरण -जनम की थाती है, कलई भी खुल जाती है। प्रमाण पत्र जनम का, प्रमाण पत्र मरण का, मृत्यु का जीवन का, कुंडली भी कुछ पाती है। सृजन किसे भाये, कौन दुश्मन, ये भी कलम की हस्ती यकीनन, सर, धड़, जड़, पकड़ ले धड़कन, जकड़ ले यम अकाल भी, अकाल मृत्यु आती हैं। ©BANDHETIYA OFFICIAL #कलम #कला है।
अज्ञात
सुनते हो ए कलम, आज जब मैंने अपने आप को दर्पण मे देखा तो घबरा गया.. मैंने देखा मेरे सर रूपी काली घटाओं को चीरते हुए मानो दूज का चाँद निकल आया हो और अपनी चांदनी की छटा सर के चारों तरफ बिखेरने को आतुर हो..! वहीं जब अपने चेहरे को देखा तो उसमे भी कहीं कहीं दाग धब्बे गड्ढे दिखे और अजीब सी एक उदासी सी छा रही थी..! ए कलम मानो दर्पण मुझसे कह रहा हो कि अब कलम का साथ छोड़ और तुलसीमाला हाथ मे ले ले..! यूँ आभास होते ही मैं बेचैन हो गया और यकायक दर्पण से बोल उठा.. ए दर्पण मेरे थोड़ा वक़्त दे,.. थोड़ा वक़्त दे.. अभी तक मुझे मेरी अंतरप्रेरणा का दीदार तक नहीं हुआ है.. बस एक बार उसका दीदार कर लूँ फिर तेरे सारे इशारों को सहर्ष स्वीकार कर लूंगा... और मानो दर्पण ने मेरी विस्मृति पर कटाक्ष करते हुए मुझे आगाह किया हो कि-"मत भूल दीदार और श्रृंगार के लिए मुकर्रर वक़्त इस जन्म मे नहीं अगले जन्म का है इसलिये अपने आप को बैचैन मत कर..! " इतना सुनते ही मानो मैंने दर्पण से मुख मोड़ लिया और तुमसे मेरे अंतर के द्वन्द बताने चला आया.. क्या तुम भी यह मान चुके हो कि अब मैं उस अवस्था के पायदान चढ़ने लगा हूँ जहाँ से वापस उतरा नहीं जा सकता..? और अगर मेरी देह अपने चरम को पा रही है तो क्या मुझे अपनी अंतरप्रेरणा से मुख मोड़ लेना चाहिए, ये किस अवस्था में आ पड़ा हूँ, क्या अब उसे भुलाना होगा मुझे..? क्या अब उसके रूप लावण्य पर, उसके सौंदर्य पर,उसके मनमोहक स्वरूप पर,स्वभाव पर लिखना अशोभनीय सा लगेगा..? या ऐसा करने से मुझे या उसे कोई क्षोभ हो सकता है...? ना जाने कितने सवाल मेरे अंतर को वेधे जा रहे हैं..! मैं उसे अपने अंतर से कैसे विदा कर पाउँगा कलम...नहीं नहीं मैं तो उसे एक पल भी दूर न कर पाउँगा। तुम तो मेरे पग पग के साथी रहे हो.. तुमसे क्या छिपा है कलम..! मैं तुमसे पूछता हूँ,बस मुझे इतना बता दो मेरी अंतरप्रेरणा मेरी इस बूढ़ी होती देह को देखकर मुझसे दूर तो नहीं हो जायेगी..! वो मेरे पास ही रहेगी ना..? बोलो ना कलम..! मेरे पास..! क्यूंकि मेरे पास केवल वही है जो मेरे जीने का आधार है। ©अज्ञात #कलम