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जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद वो महताब मेरे आ

 जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद
वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज

मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से
बाहों में समाया चाँद सा वो चेहरा है आज

काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी
क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज
 जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद
वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज

मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से
बाहों में समाया चाँद सा वो चेहरा है आज

काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी
क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज
nojotouser9836785518

तेजस

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