ये उन्माद का नगर हैँ सब तरफ झूले बंधे हैँ लैलाये झूल रही मजनू सारे गीत गा रहे हैँ चांदनी राते हैँ नदी भी ऊफान पर हैँ शीरो से मिलने सारे फरहाद उस तरफ जा रहे हैँ कोई मौजूद था यहां थोड़ी देर पहले हम उसी खुशबू की सीध में जा रहे हैँ हम मिलाएंगे हाथ उसी से जो सच्चा हो खरा हो हम ताउम्र सच का ही पीछा करते रहे हैँ उन्माद का नगर