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" भीड़ में खुद से अनजान एकांतवास स्वयं की पहचान ध

" भीड़ में खुद से अनजान
एकांतवास स्वयं की पहचान

धीरज संयम मनुष्य का श्रृंगार
प्रेम से जीत क्रोध शारीरिक विकार 

व्यर्थ दूजो का उपहास
 करे  स्वयं का विनाश 

क्षणिक सुख ना प्रगति ना विस्तार
धैर्य धीरज हो हर मुश्किल पर ।।"

( जय श्री कृष्णा )

©kanchan Yadav
  #धीरज