तुम नायिका हो इस नाट्य की,अद्भुत है किरदार तुम्हारा, तुम प्रेम प्यासी प्रेम नीर की, देश रिपु है सरदार तुम्हारा, हे दुर्गे,पुष्प कुमुदनी,तुम मुरझाना मत, देश प्रेम सबसे पहले है,समर क्षेत्र में घबराना मत, कलुषित मन है नायक का,रखता है बो बैर, हे मर्दानी सम्रांगण में रखना यथोचित धैर, यही नियत है हिन्द के हित में,होगा ये सौभाग्य तुम्हारा, निज हाथों से स्वर्ग शिधारे सरदार तुम्हारा, नायिका,