जो तुम करो तो साहुकारी , जो मैं करूं तो गुनाह। ऐसे कैसे हो पाऐगी ,तेरी-मैरी सुलाह। जो तुम करो तो हँसी-ठीठोली , जो मैं कहूं तो तंज। ऐसे कैसे मिट पाऐगी , तेरी- मेरी रंज। जो तुम करो तो एहसान मुझपर ,जो मैं करूं तो काम। ऐसे कैसे टीक पाए , अपने रिश्ते का नाम। जो तुम करो तो ईश्क , गर मैं करूं तो इल्ज़ाम। ऐसे कैसे मिल पाएगा , खुशनुमा अंज़ाम । जो तुम करो तो साहुकारी , जो मैं करूं तो गुनाह। ऐसे कैसे हो पाऐगी ,तेरी-मैरी सुलाह। #तुम #मै #अंज़ाम