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पल्लव की डायरी लगाव भावात्मक रहे नही है रिश्तो में

पल्लव की डायरी
लगाव भावात्मक रहे नही है
रिश्तो में नफा नुकसान लगाने लगे है
हक मारते हर किसी के
मदद के सबक भूल बैठे है
चलो भाग चले पहाड़ पर्वतों की ओर
नदियोँ की गोदियों में आचमन करेंगे
फरेबी दुनियाँ से दूर
आनन्द जीवन मे भरेंगे
मकड़ी के जाल बुने है शैतानों ने
उनसे दूरियां कर,भरम उनके तोड़ेंगे
सुखी जीवन जीने के लिये
नई पहल हम सब शुरू करेंगे
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #BhaagChalo नई पहल हम सब शुरू करेंगे
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