शीर्षक - मेरे वतन मेरे चमन, तुझपे हम कुर्बान है ----------------------------------------------------------- मेरे वतन मेरे चमन , तुझपे हम कुर्बान है । यह तिरंगा जां से प्यारा , यह हमारी शान है ।। मेरे वतन मेरे चमन -------------------------।। कैसे मिली आजादी हमको , यह हमें भी याद है । कितने सहे तुमने सितम , यह भी कहानी याद है ।। जिसने तेरी अस्मत लूटी, लूटा तेरा यह चमन । शर्माते है वो देखकर यह , आज हम आबाद है ।। कम होने नहीं देंगे तेरी आन को , हम कभी । चाहे हमें मरना पड़े , हमपे तेरा अहसान है ।। मेरे वतन मेरे चमन --------------------------।। मिलकर मनाते है दीवाली, हिंदू और मुस्लिम सदा । सबके लबों पे हो हंसी , करते हैं यह दुहा सदा ।। नहीं पराया कोई भी , रिश्ता है सबसे प्यार का । महापुरुषों - वीरों की जननी , तु रहे आबाद सदा ।। हम सब तेरी सन्तान है , आपस में भाई भाई हैं । तु ही हमारा ख्वाब है , तु ही हमारा ईमान है ।। मेरे वतन मेरे चमन -------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) मोबाईल नम्बर - 9571070847 ©Gurudeen Verma #रचनाकार