कहीं ये पहली तेरी आख़िरी ग़लती ना हो फिर कभी ना बोलियो ऐसे दुबारा मुझको ©Shiv Anand कर कहीं से एक इशारा मुझको था इक तेरा ही तो सहारा मुझको मैं कभी लहरों को चीरती कश्ती था और अब कर दिया किनारा मुझको बस एक झटके में चले जाना तुम पलट कर मत देखना दुबारा मुझको