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जली , टूटी फूटी 'बस' को एक क्रेन खींच रही है , आख

जली , टूटी फूटी 'बस' को एक क्रेन खींच रही है ,
 आखिर मेरा कुसूर क्या था , वो 'बस' पूछ रही है 

मै तो रोज लाती थी तुमको कॉलेज , ताजा हवा खिलाती थी ,
देरी न हो तो सरपट दौड़ के वक़्त पे पहुंचाती थी !
अपनी गोद में बिठाकर तुम्हे कंधे पर सुलाती थी ,
बारिश आंधी गर्मी सब से मैं तुमको बचाती थी !

 जब कभी थकते थे तुम मैं तकिया बनके तुम्हे आराम दिलाती थी ,
 कैसा भी हो समय , तुम्हे सही सलामत घर पहुंचाती थी  !
रोज लड़ती थी जाम से , मगर तुमको बिलकुल न सताती थी , 
ठोकरें खाती थी गड्ढों से , पर न कोई शिकवे सुनाती थी !

 तुमको एक सेकंड को भी ये सब बातें याद न आई , 
मेरे ही शीशे तोड़े , मुझ को ही आग लगाई ,
 वो कौन है जिनके लिए तुम कर रहे हो लड़ाई , 
जिसके लिए चोटिल किये तुमने अपने ही भाई । 

किसी के साथ बुरा न हो गर ये तुम्हारी चाहत है ,
 तो मेरे साथ बुरा करके क्यों दिखाई तुमने ताक़त है ,
 मुझमे तो जान नहीं , कोई करता नहीं मेरी वकालत है ,
 तुम तो खुदा के बन्दे हो , तुममे तो इंसानियत है ।

ये कहकर अंजर पंजर खुलेंगे ,  बिखरुंगी मैं की  तुम बेकार हो , 
मेरे कातिल हो तुम , उम्मीद है तुम इसके जानकार हो !!! एक बस की आत्मकथा । 
#PS #Nojoto #NojotoHindi #Nazm #DelhiBurning #BusStory
जली , टूटी फूटी 'बस' को एक क्रेन खींच रही है ,
 आखिर मेरा कुसूर क्या था , वो 'बस' पूछ रही है 

मै तो रोज लाती थी तुमको कॉलेज , ताजा हवा खिलाती थी ,
देरी न हो तो सरपट दौड़ के वक़्त पे पहुंचाती थी !
अपनी गोद में बिठाकर तुम्हे कंधे पर सुलाती थी ,
बारिश आंधी गर्मी सब से मैं तुमको बचाती थी !

 जब कभी थकते थे तुम मैं तकिया बनके तुम्हे आराम दिलाती थी ,
 कैसा भी हो समय , तुम्हे सही सलामत घर पहुंचाती थी  !
रोज लड़ती थी जाम से , मगर तुमको बिलकुल न सताती थी , 
ठोकरें खाती थी गड्ढों से , पर न कोई शिकवे सुनाती थी !

 तुमको एक सेकंड को भी ये सब बातें याद न आई , 
मेरे ही शीशे तोड़े , मुझ को ही आग लगाई ,
 वो कौन है जिनके लिए तुम कर रहे हो लड़ाई , 
जिसके लिए चोटिल किये तुमने अपने ही भाई । 

किसी के साथ बुरा न हो गर ये तुम्हारी चाहत है ,
 तो मेरे साथ बुरा करके क्यों दिखाई तुमने ताक़त है ,
 मुझमे तो जान नहीं , कोई करता नहीं मेरी वकालत है ,
 तुम तो खुदा के बन्दे हो , तुममे तो इंसानियत है ।

ये कहकर अंजर पंजर खुलेंगे ,  बिखरुंगी मैं की  तुम बेकार हो , 
मेरे कातिल हो तुम , उम्मीद है तुम इसके जानकार हो !!! एक बस की आत्मकथा । 
#PS #Nojoto #NojotoHindi #Nazm #DelhiBurning #BusStory