पल्लव की डायरी बचनों का कहा अब कौन निभाता है लालच में फकीर भी फस जाता है रहनुमाई करते सत्ता की उनके ईमान भी कोड़ी के भाव बिक जाते है सत्य तो स्लोगन में दिखते न्याय के मंदिर भी टके के बोझ तले दबे जाते है नही बचा सत्य का अस्तिव मजहबो में झूठ घोल डाले है पुजारी पंडा मौलवी फादर सबने चमत्कारों से धर्म के स्वरूप बदल डाले है झूठो ने सत्ता स्थापित करने में कितने सत्यों के कत्ल कर डाले है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" मजहबो में झूठ घोल डाले है