White विधा :-गीत / लावणी छन्द विषय :- सावन आया बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने बात लिखूँ ।। बह मत जाये अब यह काज़ल ... तब डालूँ विरवा में झूला , संग तुम्हारे जब झूलूँ । पाकर पास तुम्हें प्रियतम जब ,गदगद होकर मैं फूलूँ ।। अब करके याद तुम्हें निशिदिन, विरहन वाली रात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल.... कितने सावन बीत गये हैं , तुम ही अब बतलाओ तो । रहा अधूरा गीत मिलन का , आकर कभी सुनाओ तो ।। पाकर प्रेम अधूरा तेरा , मैं पगली सौगात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल... देहरी तुम्हारी बैठी मैं , तेरी बाट निहारूँ हूँ । घड़ी-घड़ी अब धड़के जियरा, रह रह तुझे पुकारूँ हूँ ।। आज अधूरी प्रेम कहानी , की वही मुलाकात लिखूँ । बह मत जाये अब यह काज़ल .... बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपनी बात लिखूँ ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :-गीत / लावणी छन्द विषय :- सावन आया बह मत जाये अब यह काज़ल , आँखों की बरसात लिखूँ । सावन आया प्रियतम आजा , दिल की अपने बात लिखूँ ।। बह मत जाये अब यह काज़ल ...