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उड़ते पंछियों को भी तलाश है हम रुकें कही यही तो आश

उड़ते पंछियों को भी तलाश है
हम रुकें कही यही तो आश है
बैठा है तू तो क्यूं भला उदास है
मन तेरे भी मैं उड़ू ये आश है
घर तेरा है घोंसला तो पास है
उड़ना रुकना कुछ नही
है सुख कहा ये खास है
चल के कोई उड़ के कोई दौड़ कोई
तर के कोई कर रहा प्रवास है
लौटना घर ही मगर सभी की आश है
लौट पाए या को जाए चलता
मगर हर एक लेके यही आश है
उड़ते पंछियों को भी तलाश है

©दीपेश
  #परदेश #सफर