Nojoto: Largest Storytelling Platform

रात घनी गहरी थी. किन्तु अंधीयारा नादारद था प

रात  घनी  गहरी  थी.
किन्तु  अंधीयारा  नादारद  था
पुरखों की  आवाज़े  नाद बन कर
धरती  पर उतर कर  गूँज रही थी
और मैं  उस नाद में  छिपे 
शब्द  शिल्प को
समझने  की. कोशिश.
कर  रहा था

©Parasram Arora नाद....
रात  घनी  गहरी  थी.
किन्तु  अंधीयारा  नादारद  था
पुरखों की  आवाज़े  नाद बन कर
धरती  पर उतर कर  गूँज रही थी
और मैं  उस नाद में  छिपे 
शब्द  शिल्प को
समझने  की. कोशिश.
कर  रहा था

©Parasram Arora नाद....