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है इश्क या कोई नशा है तु जो हर रोज़ मुझपर चढ़ता ह

है इश्क या कोई नशा है तु
 जो हर रोज़ मुझपर चढ़ता है!

तु लगती कोई कुरान हैं क्या
 हर रोज मुझे सिर झुकाना पड़ता हैं!

मै हर रोज यूं बिगड़ने की चाह से बिस्तर से उठता हूं
मगर ये बस एक तेरा  लिहाज़ है कि मुझे सुधरना  पड़ता है!

ओर अंधेरा लाख चाहे की रोशनी ना हो
कुदरत का नियम है सूरज को निकलना पड़ता हैं

परिंदा अपनी उड़ान भरता है अपनी मर्जी से 
उसे कब किसी को शाख बदलने को कहना पड़ता हैं!

एक मै हूं जो खुद में तुझे ही तुझे ढूंढते फिरता हूं
ओर हद है
एक तु है , तु मेरा हैं, तुझे रोज याद दिलाना पड़ता हैं!

©pearlikA #dedication#
#directions  Sanchit Uniyal Ankita Shukla Sudha Tripathi #Devu Raj Hariom Rana
है इश्क या कोई नशा है तु
 जो हर रोज़ मुझपर चढ़ता है!

तु लगती कोई कुरान हैं क्या
 हर रोज मुझे सिर झुकाना पड़ता हैं!

मै हर रोज यूं बिगड़ने की चाह से बिस्तर से उठता हूं
मगर ये बस एक तेरा  लिहाज़ है कि मुझे सुधरना  पड़ता है!

ओर अंधेरा लाख चाहे की रोशनी ना हो
कुदरत का नियम है सूरज को निकलना पड़ता हैं

परिंदा अपनी उड़ान भरता है अपनी मर्जी से 
उसे कब किसी को शाख बदलने को कहना पड़ता हैं!

एक मै हूं जो खुद में तुझे ही तुझे ढूंढते फिरता हूं
ओर हद है
एक तु है , तु मेरा हैं, तुझे रोज याद दिलाना पड़ता हैं!

©pearlikA #dedication#
#directions  Sanchit Uniyal Ankita Shukla Sudha Tripathi #Devu Raj Hariom Rana
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