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पल्लव की डायरी मिलते थे हाथ सहमति होती थी चेहरों प

पल्लव की डायरी
मिलते थे हाथ
सहमति होती थी
चेहरों पर सुर्खी 
आँखों मे चमक होती थी
अब उठने लगी उँगलियाँ
सारी नजाकत बदली बदली सी है
कभी एक दूसरों को देखकर
भरते थे आहे
अब डॉट झपट से मुँह 
छिपाये बैठे है
                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #hand सारी नजाकत अब बदली बदली सी है
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