दूर कहीं एक गुलनोहर की टहनी पर बैठी वो कोयल ज़ब मधुरतम लय मे कूकी तो मुझे यकीन हो गया मै जन्नत मे दाखिल हो गया हूँ और नर्क मुझसे बिछड़ कर. दूर चला गया है ©Parasram Arora ज़न्नत मे एंट्री........