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यूँ तो ख्वाहिशें मंडराया करती है तमाम..दिल की मुंड

यूँ तो ख्वाहिशें मंडराया करती है तमाम..दिल की मुंडेर पर साथियाँ..,,
की समेट लीजिए ख़ुद में ही मुझे यहाँ वहाँ न बिखराया कीजिए साथियाँ..!

नूर-ए-चश्म बनकर सजना चाहूं ..पलकों के हिज़ाब तले मैं आपकी..,,
की आप सामने ही रहिए मुझसे दूर कभी न जाया कीजिए साथियाँ..!

हुई जब रु-ब-रु रूह तेरी रूह से मेरी की दीवानी मैं हो गई इस क़दर..,,
की क़ुबूल कर लीजिए इश्क़ मेरा इतना भी न इतराया कीजिए साथियाँ..!

मैं तेरी हूँ.. तू मेरा है..पाकीज़ाकी इश्क़ इससे ज्यादा क्या होगी..,,
की हमें फ़क़त "एक कतरा मोहब्बत" अता कीजिए साथियाँ..!!

©Rishika Srivastava "Rishnit"
  यूँ तो ख्वाहिशें मंडराया करती है तमाम..दिल की मुंडेर पर साथियाँ..
की समेट लीजिए ख़ुद में ही मुझे यहाँ वहाँ न बिखराया कीजिए साथियाँ..!

नूर-ए-चश्म बनकर सजना चाहूं ..पलकों के हिज़ाब तले मैं आपकी..
की आप सामने ही रहिए मुझसे दूर कभी न जाया कीजिए साथियाँ..!

हुई जब रु-ब-रु रूह तेरी रूह से मेरी की दीवानी मैं हो गई इस क़दर..
की क़ुबूल कर लीजिए इश्क़ मेरा इतना भी न इतराया कीजिए साथियाँ..!

यूँ तो ख्वाहिशें मंडराया करती है तमाम..दिल की मुंडेर पर साथियाँ.. की समेट लीजिए ख़ुद में ही मुझे यहाँ वहाँ न बिखराया कीजिए साथियाँ..! नूर-ए-चश्म बनकर सजना चाहूं ..पलकों के हिज़ाब तले मैं आपकी.. की आप सामने ही रहिए मुझसे दूर कभी न जाया कीजिए साथियाँ..! हुई जब रु-ब-रु रूह तेरी रूह से मेरी की दीवानी मैं हो गई इस क़दर.. की क़ुबूल कर लीजिए इश्क़ मेरा इतना भी न इतराया कीजिए साथियाँ..! #Shayari #nojotoshyari #Rishika #एककतरामोहब्बत

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