यूँ तो ख्वाहिशें मंडराया करती है तमाम..दिल की मुंडेर पर साथियाँ..
की समेट लीजिए ख़ुद में ही मुझे यहाँ वहाँ न बिखराया कीजिए साथियाँ..!
नूर-ए-चश्म बनकर सजना चाहूं ..पलकों के हिज़ाब तले मैं आपकी..
की आप सामने ही रहिए मुझसे दूर कभी न जाया कीजिए साथियाँ..!
हुई जब रु-ब-रु रूह तेरी रूह से मेरी की दीवानी मैं हो गई इस क़दर..
की क़ुबूल कर लीजिए इश्क़ मेरा इतना भी न इतराया कीजिए साथियाँ..! #Shayari#nojotoshyari#Rishika#एककतरामोहब्बत