अनजान हम कहां रहते दिल की हसरतों से....! ना ही पशेमां है वक्त- बेवक्त की फितरत से..! *अक़ीद -पुख़्ता *अज़हद -बेहद बेवजह पशेमाँ ना हो वक़्त की, बे-वक़्त फितरत से, बेपरवाह ना रह,मुझे देख दिल में मचलती हरकत से। #अशोक_अरुज #अलफ़ाज़_जो_लिखे_तेरी_याद_में