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जलता हुआ रावण एक भ्रष्ट नेता की तीर के प्रहार को च

जलता हुआ रावण
एक भ्रष्ट नेता की तीर के प्रहार को चुपचाप सह गया,
आज विजयदशमी पर जलता हुआ रावण बहुत कुछ कह गया...
 आधुनिक भारतवर्ष में जो हो रहा है, वो त्रेता युग में कभी नही हुआ,
दो वर्ष तक सीता मेरे पास रही, किंतु मैंने उसे कभी नही छुआ,
तुमने तो रिश्तों की सभी मर्यादाओं का संहार कर दिया,
जिस नारी को देवी मानकर पूजा, उसी की इज्जत को तार-तार कर दिया,
कुछ बोल नहीं सकता था, किंतु जलते हुए पटाखों के साथ जमीं पर ढ़ह गया,
आज विजयदशमी पर जलता हुआ रावण बहुत कुछ कह गया.....
मुझसे तो एक गलती हो गई जिसका मुझे दंड मिला,
किंतु क्या तुमने इतिहास से कोई सबक लिया,
क्या नारी का सम्मान किया,
अगर सबक लिया होता तो आज परिस्थिति ये ना होती,
पाँच-पाँच दरिंदों के बीच अकेली फंसी दामिनी यों न रोती,
हे....स्वयं को बुद्धिमान कहने वालों, जरा सामने आओ,
अगर जलाना ही है तो अपने अंदर के रावण को जलाओ,
खैर, मुझे तो जलाते रहो, क्योंकि शायद पुतले जलाना ही तुम्हरा काम है,
परंतु एक बात सच-सच बताना.....,
क्या तुम में से कोई "राम" है.........?
                  सचिन कुमार गौतम
जलता हुआ रावण
एक भ्रष्ट नेता की तीर के प्रहार को चुपचाप सह गया,
आज विजयदशमी पर जलता हुआ रावण बहुत कुछ कह गया...
 आधुनिक भारतवर्ष में जो हो रहा है, वो त्रेता युग में कभी नही हुआ,
दो वर्ष तक सीता मेरे पास रही, किंतु मैंने उसे कभी नही छुआ,
तुमने तो रिश्तों की सभी मर्यादाओं का संहार कर दिया,
जिस नारी को देवी मानकर पूजा, उसी की इज्जत को तार-तार कर दिया,
कुछ बोल नहीं सकता था, किंतु जलते हुए पटाखों के साथ जमीं पर ढ़ह गया,
आज विजयदशमी पर जलता हुआ रावण बहुत कुछ कह गया.....
मुझसे तो एक गलती हो गई जिसका मुझे दंड मिला,
किंतु क्या तुमने इतिहास से कोई सबक लिया,
क्या नारी का सम्मान किया,
अगर सबक लिया होता तो आज परिस्थिति ये ना होती,
पाँच-पाँच दरिंदों के बीच अकेली फंसी दामिनी यों न रोती,
हे....स्वयं को बुद्धिमान कहने वालों, जरा सामने आओ,
अगर जलाना ही है तो अपने अंदर के रावण को जलाओ,
खैर, मुझे तो जलाते रहो, क्योंकि शायद पुतले जलाना ही तुम्हरा काम है,
परंतु एक बात सच-सच बताना.....,
क्या तुम में से कोई "राम" है.........?
                  सचिन कुमार गौतम